तेरे मासूम से चेहरे पर वो हंसी याद आती है, मेरी जिन्दगी में तेरी कमी मुझे खल जाती है।
जो मुझे पसंद है वो इस जहां में नहीं, इस जहां में नहीं तो कहीं नहीं ! ...अरे साला मेरे शायरी की तो झंड हो गयी?
वक्त की चोट खा कर बचा हूं जिन्दा, मुझे रोको मत हूं मैं आजाद परिन्दा।
लडकियोंको सिर्फ फुल और कलियॅां समझनेकी गलती कभी भी ना करें, वक्त आने पर वह अंगार भी हो सकती है|
इशक यहा सबको कहा होता है ये जहां तो नसीब वालों को मिलता है
जब किसी को खुश देख ये रोता दिल भी मुस्कुराता है तो इसे ही जमाना प्यार कहता है
इस धड़कन पे आज भी तेरा नाम है, तुझे दिन रात चाहना ही मेरा काम है
जब तु होता है जुदा तो लगता है जैसे रूठा हो मेरे खुदा
दुआ के लिए जब भी हाथ फैलते हैं इन हाथो मे छुपी तेरी नाम की लकीर दिखाते है
जूठा ही सही लेकिन तु तो मेरा यार है तू आता है तो लगता है जैसे आयी कोई बाहार है
मुझे सजना तब अच्छा लगता है जब सामने मेरा प्यारा सजना होता है
मुझे सजना तब अच्छा लगता है जब सामने मेरा प्यारा सजना होता है
जब तेरी सूरत दिखती है तब मेरी ये पलके शर्म से झुकती है
ए मेरे रब तू इतना मत जा रूठ की तूजे बोलने लगे सब जूठ
उस मजहब का बाजार बता दो जहा सच्ची इन्सानियत को एहमियत मिलती है
दर्द तो मुझे भी होता है.....पर मुझे हारने का गम नहीं अपने प्यार को जिताने की ख़ुशी है।
तूं मुझे नहीं जानती पगली, मैं हार भले ही जाऊँ पर अपने प्यार को कभी नहीं हारने दूंगा।
तूँ सोच भी नहीं सकती कि मैं तुझसे कितना प्यार करता हूँ।
दिल अब बस रुक जा ! शायद तुझे नहीं पता कि कोई नहीं तेरा यहाँ।
मैं जी लूंगा किसी भी तरह से बस तुम खुश रहना।
अगर हमारा साथ यहीं तक था तो मुबारक हो तुम्हें तुम्हारी दुनियाँ।