जिसे समझते थे अपना कातील पता नहीं कब उसी पे आ गया दिल
चाहतों में भी होती है दगा....मुझे चाहिए था लेना सीख, क्यूँ सुन नहीं पाया मैं अपने ही दिल की चीख.!
अपनी ही वफ़ा से मैंने की बेवफ़ाई, क्यूँ दिल की बातें मुझे समझ ना आयी !
जिन्दगी का हर हसीन लमहा छूट गया है, दिल ही मेरा मुझसे रुठ गया है !
आज आँखो मे नही है नमी, इसलिए आज शब्दों की है कमी
जिन्दगी वो खेल है जहा हर रोज नये चेहरों का होता मेल - जोल है
शायद जो सच्चा होता है वही अच्छा होता है
कभी खुद से माफी मांग लिया करो अपने दिल का मेल धो लिया करो
उन्हें हमसे खेलना अच्छा लगता है और हमे उनका हर जूठ सच मानके जीना अच्छा लगता है
किसी नवाब की तलाश नहीं बस एक सच्चे साथी की आश है
किसीको पैर मारनेकी संस्कृति भारतियोंमें नही वरना हम फुटबाॅलमें भी अव्वल होते|
प्रभुका दर्शन और आनंदका अनुभव आसानीसे नही मिलते|
Kuch log sacha pyaar sirf jism se krte hain. Dil aur ruh se nahi.
कहा छिपा है मेरा यार इस सावन मे, एक प्यार की बूंद तो गिरा जा मेरे दामन मे
याद आती है उनकी जब लगती है सावन की लड़ी, उनसे जुदाई लगती है सबसे बड़ी
मंजिल मुझसे पूछती है इतना जुनून कोन से बाजार से खरीदती है
जब मिलता है प्यार का नजराना तब जीवन मे आता है जुनून का तराना
माता को मंदिर में पूजते हो और घर में बेटी पैदा होते ही रोते हो
छोड़ दो जूठी आन बनके रहो सच्चे इंसान
तु मेरा आज नहीं बरसों पुराना राज है
जिनसे हमारी पहचान थी वो आज अन्जान है