सच्चाई के लिए बोलते है जब मेरे लब तब मेरे दुश्मन हो जाते हैं सब
क्यूँ मारते हो जानवर को, ये तो वो भोले प्राणी है जिसे करते हैं प्यार उस पे देते है जान वार
आज भी सपने हिन्दी मे ही आते हैं खून नहीं अपने वतन के मुझ में जज्बात बहते हैं
जिनकी जिन्दगी में लाए थे हम बहार उन्होने कर दिया मुझे अपनी जिन्दगी से बाहर
तेरी मोहब्बत ही थी जो मुझे पड़ा आना कर के दुनिया से बहाना
कैसा है ये सफर...... जहां मन्जिल की नहीं है कोई खबर.!
जुबान भलेही कडवी हो सच्चाईसे भरी बातें होनी चाहिये|
रोजमरी जिंदगीमे नुस्के नये अपनानेसे आसानीसे हल मिलते है|
तकनिकी भलेही नई हो उसका स्त्रोत तो पुरानाही होता है|
दिलके मामलेमें मैं थोडा कंजुस हूॅं, आसानीसे किसीको दिलमें नही बिठा सकता|
अपना कोई रुठकर खामोश होनेसे उसकी बोलकर की हुई शिकायते अच्छी लगती है|
प्रभु बनना है तेरा खास चाहे बना ले मुझे अपना दास
उस ख़्वाब का इन्तजार रहता है मुझे जिस ख़्वाब में तुम होती हो।
ये मोहब्बत चीज ही ऐसी है-मिले तो जहां भर की खुशियां नहीं तो जिन्दगी भर का गम।
अब तो तेरी यादों पर भी हक़ नहीं रहा मेरा.!
ये मेरा टूटा दिल चीखे भी तो कैसे, सुनने वाला ही कहाँ है मेरा कोई.!
लौट आ दिल....शायद तरी दुनियाँ वहां नहीं जहां तूं भाग रहा है।
मेरी तनहाई भी मुझे तनहा बना गई, जिसे माँगा था दुआओं में वो दुआ किसी और की कबूल हो गई।
मेरे जख़्म की दवा, बस तुम लोगों की दुआ है यारों !
वक्त अगर फिर कभी हमे मिलाएगा तो मैं बताऊंगा मेरे लिए तुम्हारा प्यार क्या था।
आज मेरे ओठों पर है बस तेरा ही गीत।