शुरत से ज्यादा प्यारी है उनकी शिरत हजार हसीन चेहरों के बीच उनकी बिगड़ती नहीं नीयत
मजहब ही सिखाता है हमे प्यार करना तो क्यूँ ये लोग कहते है जरूरी है मजहब के लिए मरना
जब से तुम मिले हो बस एक ही बचा है काम बस तुम्हें चाहते है चाहे सुबह हो या श्याम
जब आता है उनका पैगाम तब रब का भी भूल जाते है नाम
आज भी मंजिल पाती है वहा मेरी राहे जहा नजर आती है उनकी वो खुली बाहे
प्यार की परिभाषा ढूंढ रहे है कॉलेज की कैंटीन तक नहीं जीवन भर साथ निभाए वो साथी ढूंढ रहे है
नहीं चाहिए मुझे किसी का रहम खुद नाम बनाऊँगी अपना इतने संघर्षशील है मेरे कदम
जिन्हें माना था सनम वो निकले जूठा वहम उनका प्यार था बस एक भ्रम ?
कभी थे हम उनकी धड़कन का पहला हिस्सा आज मानते है हमे बीता हुआ एक किस्सा
नारी के भाग्य मे ही क्यूँ आता है सहना क्यूँ लाज को नारी का माना जाता है पहला गहना
पहले कह रहा था वो मुझे तेरे दिल मे है रहना मेरे भाई को देखते ही बोला केसी हो मेरी प्यारी बहना
अब नाराज होना अच्छा लगता है जब वो मनाते है तो उनका प्यार सच्चा लगता है
क्या मिलेगा होके उदास कोई नहीं आएगा मनाने जब मे रहूंगी निराश
अजीब होता है ना ये जाम जो है दिल की कब्र में दफन जुबां पे आ जाता है वो नाम
जान कह के उन्होने ले ली है मेरी जान जीनके लिये खोई मैंने अपनी पहचान वो मिलते है मुझसे बनके अब अन्जान
उसकी हसीन जुल्फों को देख मेरा दिल हो गया break उसके भाई ने देखा तो हड्डियों हो गयी cracke
इशक भी अजीब है जिसे तु कहते है उसे आप कहने की सिखाता तहजीब है
Kya vo tum ho? Jo roj mere sapno me aati hai.......
प्यार भी है दिलों का अजीब सा खेल जो नहीं हो सकते एक उन्ही का होता है मेल
तकलीफ दूसरे देते हैं लेकिन दुःख अपनों से होता है।
दिवारपर लटकी कॅलेंडर हमे गुजरे हुए दिनोंकी और आने वाले समयकी याद दिलाती रहती है|