दुःख में साथ देने वाले को "मसीहा" कहते हैं,लेकिन एक दोस्त जीवन में दुःख आनें ही नहीं देता ।
बंद घडीकी सुईंयाॅं भी दिनमें दो बार बराब्बर समय दिखाती है,गलत व्यक्ति भी कभी कभार सही हो सकता है| पाॅझीटिव्ह सोच जरुरी है|
पेटमें आग और दिमानपर बर्फ कुछ न कुछ मंझिल हासिल कराही देती है|
सिन्दूर से जब बहूं की भरते हो मांग, क्यूँ उससे खुश होने का अधिकार भी लेते हो मांग
मेरी आंखो में हर पल वो दे रहे है नमी, शायद मेरे प्यार मे ही रही होगी कोई कमी
मुझे नहीं चाहिए किसी हुस्न की सल्तनत का नवाब, बस एक ऐसा लड़का हो जो मुझे चाहे बेहिसाब
उन्हें तब तक हम से प्यार था जब तक हम थे सुंदर काया , खूबसूरती का रंग उतरते ही हमे कह दिया काला साया
हमारी मजबूरी से वो इतने हुए है खफा, गैर की बाहो मे जाके हमसे हो गए है बेवफा
हमे दर्द मे शब्दों को लिखने की आदत है, और लोगों को लगता है हम कलम की करते इबादत है
लड़की भी इंसान है फूल नहीं जो सिर्फ महकेगी , अगर सीमा भूले तो काटो से भी गहरी चुभन देगी
बहू वो है जिस पे परिवार की गुमती धुरी है , फिर क्यूँ कहते हो बहू होती बुरी है
इतनी दूरी मत बढ़ाओ की मे तुम्हें भूल जाऊ, क्या होगा आपका अगर मे गुलाब बन के किसी और की बाहो मे झूल जाऊ
बस तु खुश रहना हम दिन को रात मान लेंगे , तू कह देना हम काटो में भी खुशबू ढूंढ लेंगे
आज भी इन शब्दों को लिखती हू आँखो से सागर बहता है , मुझसे ज्यादा मेरा खुदा रोता है
उसने बरसाए है हम पे इतने कहर, अपने साये से लगने लगा है अब डर
आज भी अतीत का डर सताता है, ख्वाब में आकर अपनी मोजुदगी बताता है
जिसे दिखता था मेरे दिल में प्यार का मंजर , उसी ने दिल मे डाल दिया है खंजर
अब तन्हा रहने की लग गयी है लत, इसलिए मेरे पास रहने के लिए तन्हाई को लिख रही हू खत
अकेले रहने का मन करता है , इस अकेलेपन में अजीब सा शुकून मिलता है
तन्हा होने की दुआ मांग रही हू , रिश्तों से दूर रहने की दवा मांग रही हू
रूह से प्यार करने का गूजर गया अब दोर, अब चारों ओर है खूबसूरत जिस्म का शोर