हर हद पार कर जाता है ये दर्द, जब तेरे तेरी याद से ये गर्म राते भी हो जाती है सर्द
समझा था तुझे इशक का फरमान, और साबित हुआ तु मेरी मोत का सामान
सत्कर्म में ही रहीम और राम बसता है, खुदा हो या भगवान उसका साथ नहीं देता जो इंसानियत को डसता है
अपने कदमों का दे दिया ऐसा रुख, आज हमे मिल रहा है सिर्फ दुख
अतीत था तेरा यूं नजरअंदाज ना कर गलती से ही सही, कभी तो याद कर लिया कर।
जीन बच्चों के लिए मा - बाप का बहता खून का हर कतरा है, वो बच्चे मा - बाप को खुद से अलग करते कह के उनसे बीमारी का खतरा है
हम मां - बाप के प्रति नहीं निभा पाते अपना फर्ज , ये देश के जवान शहीद होके कैसे निभाते है देश के प्रति अपना कर्ज
दर्द भी अजीब लम्हा है , अब दर्द में भी शुकून तब मिलता है जब होते हम तन्हा है
इशक मे तुम्हारे हम डूबने को तैयार है , तुम खुश रहो बस हम हर पल सुबकने को तैयार है
जब बेटी जानती है अपनी किस्मत बनाना, तो जमाना क्यूँ शुरु कर देता है उसे सताना
अपना अस्तित्व छोड़ दिया जिसके खातिर , आज वो नाम दे रहे है हमे बेवफा और शातिर
बेवफाई रहती हमारे सबसे करीब है, बेवफाई ही अब बना हमारा नसीब है
अब नहीं चाहिए हमे खुशी की पनाह, खुश है हम तुम्हारी याद में होके तबाह
दर्द की कसम बोहत दर्द देते हो तुम, हर पल आंसू के साथ जीते है हम
बेवफाई की परिभाषा जब भी बनेगी सबसे पहले तेरा नाम आएगा, बददुआ से ये जमाना भी तुझे खून के आंसू रुलाएगा
प्यार के नाम से अब कोई एहसास ही नहीं होता, जिनके लिए आंखो से नदिया बहती थी अब एक आंसू नहीं निकलता
मत रुलाओ परायी बेटी को , तुम्हारी अपनी बेटी भी पराये घर में तरसेगी रोटी को
हर हाल में तुझको पाना है और जमाने से लड़ जाना है, किया था जो वादा तुझसे, अब वो निभाना है।
था अंधेरों से घिरा मैं, सावन की सुबह तू लगाने लगी, हुआ कुछ ऐसे जैसे काली सी बदरी, अब जिन्दगी से हटनें लगी।
क्या करूँ मैं तुझे भूल भी तो नहीं सकता, टूटे दिल से समझौता करना जो नहीं आता मुझे।
सफलता से कुछ कम मिले,......... मुझे मंजूर नहीं।