पाते तो दिल तोड़ के क्या तुम, कौन तुम्हें समझायेगा, इस मासूम दिल की अरदास बेदर्द जमाना क्या समझ पायेगा।
खुद से ज्यादा तुम्हें प्यार करते थे, तुमसे ही थी हर ख्वाइस, समझ न सके तुम हमको, करते रह गए बस नुमाइश।
जिंदगी का एक पहलू छूट जाता, अगर इस भीड़ भारी दुनियाँ में तेरा साथ ना पता।
था सच कुछ और...... पर झूठे सपनें सजोनें लगा हूँ मैं, जो थी नहीं कभी मेरी उसका होने लगा हूँ मैं।
तन्हाइयों में रहने लगा हूँ मैं, बदल रहा मेरा दस्तूर, जिन्दगी थी पास मेरे और मैं था गुमसूदा कहीं दूर।
अजीब है ना सफलता में सबको हिस्सेदार बनना है और संघर्ष हमे अकेले ही करना है
तुझसे बड़ कर मेरे लिए कोई और सौगात नहीं, तेरा प्यार ही है मेरी पहचान, वरना मेरी कोई औकात नहीं।
खुदा भी पड़े अगर खुद की लिखी, तो सायद समझ पाए मेरे दर्द की इंतहाँ।
नैनों से पिलाया ऐसे जाम, भूल गए हम, क्या सुबह क्या शाम....
जिन्हे कभी हर पल याद करते थे आज उन्हे भूलने की फरियाद करते है
खुशबू बन के बिखर गयी हु, तुम्हारे प्यार में और भी निखर गयी हु
एसी बेवफाई की छाई उनकी लहर है , हर दिन आंसू के रूप मे टूटता उनका कहर है
इशक भी अजीब है , जो कभी नहीं मिलता वो ही दिल के करीब है
समझ सको तो हमारे इन शब्दों को समझ जाना तुम, मिटा देना दर्द को मेरे जो इन शब्दों मे लिखते है हम
वासना से हर रिश्ते पे उंगली उठ रही है , अब दादा के पास भी पोती सोच के बेठ रही है
अब चुप रहना अच्छा लगता है, बीन शिकायत के हर गम सहना अच्छा लगता है
शायद मेरे दिन बुरे चल रहे है जो हर रोज एक नयी आंग मे जुलस रहे है
खूद के अलावा कोई अपना नहीं होता है , कोई आके नहीं पूछता ये दिल क्यूँ रोता है
जान नीकल जाती है जब वो एक हरकत करते है , आज भी उनकी एक झलक की हसरत करते है
उनके एक साये के लिए आज भी तरसते है, उनकी याद मे आज भी नैना बरसते है
तु मिले ना मिले बस तूजे चाहूंगी बनके मीरा , दुनिया कुछ भी कहे तु है मेरा कोहिनूर हीरा