पुराने वस्त्र उतारे बगैर नये वस्त्र पहनना अच्छा नही लगता,उसी प्रकार पुराने शरीरका त्याग किये बिना नया शरीर नही पा सकते|
टूट तो कब का चुका हूँ मैं, जी रहा हूँ तो बस तुम्हारे लिए....
दर्द देकर ना पूछा करो मेरे दिल का हाल, तुम नहीं समझोगे, मैं जी रहा हूँ तो बस तुम्हारे लिए।
मुझे हर बार मत तोड़ो, आँखें मेरी भी गिली होती हैं।
उन में दुनिया बसती है उनसे ही मेरी जिंदगी सवरती है
फिर वो पल जीने का मन कर रहा है तुम्हारी बाहो मे सोने का मन कर रहा है
कहते हो बदल रहा है दौर, पर जरा खुद की हैवानियत पर तो करो गौर।
मुझ पर बंदिशें ना लगाए जमाना, मुझे आता है बखूबी साथ निभाना।
मुझे तुझसे अलग कौन कर पाएगा, कब चला है जमाने का जोर प्यार पर, जो अब चल पाएगा।
ख्वाहिशें मेरी रुकती नहीं ..... शायद मंजिल अभी दूर है।
आजकल हर गांव शहर बननेके पिच्छे पडा हुआ है|आगे जाके गांवकी संस्कृती ढुंढनेसेभी मिलना मुश्किल हो जाएगा|
श्रद्धा होना अच्छी बात है लेकिन अंधश्रद्धा रखना दुर्गतीका कारण बन सकती है|
तुम्हें क्या पता किस दौर से गुजर रहे हैं हम, बस कहने को है जिंदा वरना मर तो कब के गए हैं हम।
जिवो जिवस्य जिवनम्, अर्थात एक जिव दुसरे जिवके उपर निर्भर करता है|
लोगों भी अजीब हैं, जब आपके पास कुछ भी नहीं हो तो हँसते हैं, जब हो तो जलते हैं
प्यार तो हमनें भी किया था किसी से....... पर वो बेवफा निकली।
कहते थे वो हमें 'दिल का सच्चा' ,फिर न जाने छोड़कर क्यों चले गए।
तुम्हें रुला कर हम हँस पायेंगे क्या !
तुन्हें क्या पता क्या है मेरे दिल का आलम, कहने के लिए हैं जिन्दा पर मौत से गुजर रहे हैं हम।
हम जीवन से अलग हैं, ये समझना ही गलत है।
मोहब्बत की रेस में कायर बना दिया, तेरी बेवफाई ने तो मुझे 'शायर' बना दीया।