सुबहकी पहली चाय,रातकी सारी निंद उडाय,चुस्ति और फुर्तीका साधन,ना मिले तो गजब हुई जाय|
क्रोध सुरजकी आगकी तरह अंगार है तो प्यार चाॅंदकी चांदनीकी तरह शितल है|
कुछभी काम करनेसे कोई छोटा नही होता,काम न करनेसे आलसी और निकम्मा जरुर बनता है|
मजबुरी ईन्सानको लाचार और भिकारी बना सकती है,पुरे सक्षम बनिये ताकी किसीके सामने लाचार ना बनना पडे|
हाथ थामे जिनका चले थे कभी... अब तन्हा इस दिल मे लीये घूमते है उन्हें...
रूठ कर हम उनको मनाने लगे लेकिन वो हमको फिर भी याद आने लगे
Bhig rhi hai meri ankhen kuch iss tarah teri yadoon me, ki tujhse kuch na kah paun na hi ab rah pau.
Kahi le chal mujhe itni dur jahan tu or mai ho. Har subh tu mera ho or mai sirf teri rahu.
Jane log mere kis chehre ki baaten karte hain, tute bhi ham hain or tut ke nikhare bhi ham hai.
Tute hain iss tarah jaise farsh par bikhra shisha ho. Kuch to kahna hai par ab lafaz nhi aate zuban par.
मै तो एक कारीगर हूॅं न जाने तुम मुझे जादुगर क्यूॅं समझ रही हो|
नौकर,चाकर घरमें चार हर सुख अंदर,पैसा अपार.. माॅं बाप बाहर,बच्चे बेहाल नई सोचसे हुआ पुरे घरका बुरा हाल.
Dukhi maat hona Jo upar baitha Hai Woh bhi dekhta Hai tumhara hausla Kitna buland hai
किस्मत भी किसी को गरीब किसी को अमीर बना देती है किसी को नहीं पता होता कि उसकी तकदीर में क्या लिखा है
कभी गरीबों को खाना खिलाना दिल को बहुत सुकून मिलेगा
आज बहुत दुखी लग रही हो क्या बात है
तू पागल है उस पर और वह तुझ पर पागल है इसी को ही मोहब्बत कहते हैं
मोहब्बत कब किससे हो जाए पता नहीं चलता क्योंकि इसका कोई दरवाजा नहीं होता
ऐ जिंदगी तुझसे क्या शिकायत करूं गम भी बहुत हैं और कोई पूछता है तो कहना पड़ता है मजे में हूं
कपडोंंका मैल धोनेकेलिए बहोतसारे डिटर्जंट बाजारमें उपलब्ध है लेकिन मनका मैल धोनेकेलिए सिर्फ एक परमात्माही काम आ सकता है|
चढ़ना ही है तो सूरज पर चढ़ने की सोच ताकि चांद पर चढ़ सको