कहते हैं जिंदगी बड़ी खूबसूरत है,...पर अपनो के बिना तो नहीं ।।।
लिखी है खून से चिट्ठी स्याही ना समझना मरता हूं तेरी याद में जिंदा मत समझना
छुपाए रखा था सीने में तुझे दिल की जगह ले गए सीना फाड़ कर ले जाने वाले तुझको
यह मौसम सुहाना फिजा भीगी-भीगी बड़ा लुत्फ आता अगर तुम यहां होते
नजरों से पीने के बाद हालात यह हो गए लगा है जन्नत से उतरकर कोई परी आ गई
ना कुछ हम हंसकर सीखे हैं ना कुछहम रोके सीखें है जो कुछ थोड़ा सा सीखे हैं किसी के होकर सीखे हैं
यह दिल ही जानता है जो दिल में है आप दूर हैं तो क्या बसे तो इस दिल में है
जिंदगी जिंदादिली का नाम है मुर्दा दिल क्या खाक जिया करते हैं
अब तो हद हो गई अब ना सहा जाएगा हम से इस शहर में अब रहा ना जाएगा
मुझे इसका गम नहीं कि उसने फेर ली आंखें अफसोस यह है कि उसने भी मुजरिम समझ लिया
मैं और भी सितम सह सकता था मगर अफसोस तुमने ही कह दिया मुझे भूल जाओ
मैंने उसे ताजमहल क्या कह दिया लोग उसकी गली में खूब आने जाने लगे
तेरी गलियों में सितारे हैं सच बताओ कि गैरों के हो या हमारे
4 दिन की जिंदगी में दुश्मनी क्या रंजिशे आओ सब दुश्मनों से हम दोस्ती कर ले
उसकी सूरत में तो बचपन की सादगी है वही सादगी सब अपने आप ताजगी है
अब तो आजा की रात बाकी है थोड़ी बहुत सितारों की बारात बाकी है हो सके तो अभी चुपचाप आजा मिलन के दो चार अभी लम्हात बाकी है
हुस्न आपका और निखर आता है ना मुस्कुराकर अंगड़ाई लिया कीजिए जनाब
कौन कहता है कि उम्र कभी लौटती नहीं बिछड़े हुए मिले तो लौट भी आती है अक्सर
चोरी चोरी रात में आना छत पर मिलना तेरा पहले शर्माना झिझकना फिर लिपटना तेरा कितना अच्छा लगता है
हाय वह रात-दिन का मिलना जुलना तेरा बार-बार घर आना मेरे मुस्कुराना हंसना तेरा कितना अच्छा लगता था
जमाना है ख़राबडाल लो नकाब हर गली पर खड़े हैं आशिक हजार