कुर्बानी और आजादिका बडाही नजदिकी रिश्ता है|
तु बेवफा ही सही लेकिन आज भी मेरा यार है तेरी इन शातिर आँखो में आज भी दिखता मेरा प्यार है
उस यार का दिल कभी मत तोड़ना जिसने मंजूर किया है तुम्हारे लिए इस जग को छोड़ना
तु भूली हुई एक कसम है मेरी जिन्दगी का तु एक वहम है
इस सर्द मोसम में दर्द की कसम दर्द से भी ज्यादा दर्द देता है तू
होठो की हसी से आज बन गया है तू वो गम जो कर देता है मेरी आँखे नम
मेरा दिल दुखा के शुकून मिलता है तूजे तो दस बार रुला ले मुझे
इतने तो हम भी हैं सयाने, जो समझ सकें प्यार और बहानें।
कितनी बार तोड़ोगे मेरा दिल, क्या तुम्हें तरस भी नहीं आता???
प्रयास करते रहो, क्योंकि वक्त बदलते देर नहीं लगती।
टूटने के बाद भी आ देख, अभी मैं जिन्दा हूँ!
तेरे सिवाय अगर मुझे कुछ चाहिए, तो सिर्फ मौत।
ये दूरियाँ बनी ही है, मजबूर करने के लिए।
तमन्ना अभी भी इस दिल में है! तुझसे मिलने की, तेरे साथ दो कदम चलने की।
शायद, प्यार का कोई आधार नहीं है।
मैं एक काला दाग हूँ, तेरे सफेद दामन पर कैसे लग सकता हूँ !!!!!
काश कोई बहाना मिलता तुझसे रोज-रोज मिलनें का !
सपनें देखना तो सीखो, उड़ने को 'पर' तो लग ही जायेंगे।
प्रयास छोटा या बड़ा नहीं होता, यह अल्प अथवा निरन्तर हो सकता है।
उमर बढ जानेसे तजुर्बा जरुर बढ जाता है|हम उसका कितना उपयोग करतें है यह दुसरी बात है|
आज हमारी जिंदगीके चालीस साल एक दुसरेको समझनेमें और संभ्हालनेमें गुजर गये|तुम खुष तो हो ना?