बचपनमें"लर्न", युवावस्थामें"टर्न", जवानीमें"अर्न", प्रौढावस्थामे"बर्न" बुढापेमें"फर्न" यही जिंदगी है|
कहते हैं दूसरों पर विश्वास ना करो, पर धोखा तो अक्सर अपने ही दे देते हैं।
नजर भी गलत शख्स से मिली कम्बख्त, और गलत वक्त पे हो गयी हमे मोहब्बत
आँखे बंद करते ही उनकी सूरत दिखती है उनमें वफा की कूदरत बसती है
तुम से ये जुदाई नहीं है मेरे अरमानों की विदाई है
जीन पे भरोसा किया है उन्होंने ही सबसे बड़ा दर्द दिया है
तु आज भी खूबसूरत नजर है, तेरे अंदर बसता है मेरा शहर है
शायद!!! मेरे इतने करीब कोई था जिसे मैं अपना समझता था।
स्वावलम्बन ही सफलता की कुंजी है और विश्वास जीवन का आधार।
तु कड़वा ख्वाब नहीं मीठी याद है मेरी दिल से निकली फरियाद है
इस दिल को तोड़ कर टुकड़ों-टुकड़ों में तुम खुद ही बँट गई हो, क्योंकि इस दिल में रहती थी सिर्फ़ तुम।
जिन्दगी को मर-मर के जियें कैसे, इन मजबूरियों को नजरअंदाज करें कैसे !!!
उसे मुझसे दूर ना ले जाओ, मेरी सांसो को ही मुझसे ना छुपाओ,... ढूंढ लूंगा मैं!
मुझे सम्भालनें की कोशिश ना करें जमाना, मैनें सीखा है खुद से सम्भल जाना।
इस स्माइल का क्या ठिकाना यारों, आज आपके चेहरे पर है तो कल किसी और के होगी।
मैं रुकता ही कहाँ ?, पर अब तो जिन्दगी भी साथ छोड़नें लगी है।
तमन्ना खत्म ही कहाँ होती है, रूकती है तो बस मंजिलों पर।
मेरी इच्छाओं से बढ़कर मैं खुद भी नहीं।
मेरी ख्वाहिशों का पुल तेरी गली तक जाता है।
पता होता दर्द इतना है मोहब्बत में तो दिल को दिल लगानें की इजाज़त कभी न देते।
लिपट मेरे जख्म पर नमक की तरह कि दर्द की इन्तहाँ हो जाये, गर मेरी नहीं रही ज़िन्दगी तो तेरी भी यहीं खत्म हो जाये।