दिल मे नमक नहीं मरहम रखो मन मे थोड़ा सा रहम रखो
असमान में उड़ने के सपने है लेकीन बेटी के साथ नहीं होते अपने है
मत होना मुझसे नाराज तुझसे ही खूबसूरत बनता है मेरा आज
मोहब्बत खूबी नहीं कमी से होती है उसकी कमी ही मेरी आंखो की मिटाती नमी है
आज संघर्ष का है पल लेकिन कामयाबी भरा होगा आने वाला कल
रिश्तो को कभी धन से मत तोलना, रिश्ते सुंदर बनेगे जब सीखोगे मीठा बोलना
जिसने तोड़ा है मेरा मन, आज वो ही कहता है बेवफा है मेरा दामन
धन की है सब माया, कोई साथ नहीं देता जब दुख का आता है साया
दिल तोड़ने वाले को ही मांग रही हू टूटते तारे से
मा मेरी अनमोल है सारे गम मिटा देता उसका एक बोल है
जीन्दा रखो अपना जमीर खूद की नजरों में हमेशा रहोगे अमीर
मेरी जिन्दगी में खालीपन है कोई पता बता दो कहा मिलता ये अपनापन है
बेटी के हुनर पे उंगली उठाते है उसे रसोई में ही बिठाते है
मे खूद को भूल गया जब उस हसीना के चेहरे का पर्दा खुल गया
सावन में उनसे ऐसे लिपट गयी की उनकी बाहो मे सिमट गयी
जान तु कहा है तुम्हारी याद में हर आंसू बहा है
वो अलविदा कह के आगे बड गये और हम उस राह पे खड़े रह गए
आँखे बंद हो तो भी मंजिल दिखती है मेरी हर रात एक सपने के साथ ही गुजरती है
एक उलजी पहेली हू खुशी की नहीं गम की सहेली हू
जब वो बालकनी पर अपनी लटों को सुलझाती है, तो उसकी यह अदा मेरे दिल को उलझाती है !
एक लड़की का कहर जब एक लड़के पर गिरता है, अक्ल मारी जाती है उसकी वो गली-गली फ़क़ीर बना फिरता है !