काश जिन्दगी में वो पल आए, जो बचपन में था वो "कल" आए !
अपनी जुल्फों की खुशबू उन हवाओं में बिखेरा करो, जिन हवाओं से मेरी साँसे चलती हैं।
मुझे तेरी बेवफाई ने मारा, पर अगर खुदा मुझे मौका दे तो मोहब्बत तुझी से करूंगा दोबारा।
चाँद सा है चेहरा तेरा फूल के जैसी खिली हो तुम, देर हुई आने में तुझको पर बड़ी शिद्दत से मिली हो तुम।
पसंद है मुझे चुप रहना, अपने गमो को होठो पे ना लाना
देश को जलाने वाला आरक्षण नहीं सच्ची कला को सरक्षण चाहिए
है प्रभु घमंड नहीं देना मुझे हुनर, जिससे हर राह चलते की करू में कदर
टूटती हू फिर खड़ी होती हू मे इसे ही शायद जिन्दगी कहती हू मे
अब मुझे हारना नहीं है खुद से लड़ना है
इतने मुश्किल बन जाओ की परिस्थिति भी तुम्हारे सामने झुकना सीख ले
तेरी यह खुली-खुली रेशमी जुल्फें मुझे झरने सी लगती है, जिसमें मैं जिन्दगी भर भीगना चाहता हूँ !
तूँ अपने दिल को सम्भाल शायद इसलिए नहीं पाती है, क्योंकि तेरे सीने में जो दिल धड़कता है वो मेरा है
आवश्यकताएँ ना होती तो व्यक्ति सिमट कर रह जाता।
किसी जरुरतमंद की मदद करने से अच्छा कोई उपकार नहीं।
आदमी को आदमी इस तरह सताएगा, खुदा को अगर याद रहा तो फिर कभी इन्सान नहीं बनायेगा।
खुदा भी सोचता होगा, मैंने तो इन्सान बनाया था फरेबी और धोखेबाज नहीं !
क्या हो गया है इस जमाने को, जिसे देखो बस मजबूर है पैसा कमाने को, .....क्या यही है जिन्दगी ?
मैं शायद विश्वास ना करुँ अगर खुदा भी मुझसे ये बोले, कि वो मुझसे प्यार नहीं करते जिनके लिए हम रो रहे!
मेरी सारी उम्मीदें आ कर तुझ पर ही रुकी, पर क्यूँ इस सजदे में तेरी आँखें हैं झुकी।
मेरी इन आवारा नजरों की तलास शायद अब ख़तम हुई !!
तेरी आँखों में मैं जितना देखूं एक सुकून मिलता है, और जी चाहता है बस देखता ही रहूं।