मेरे प्यार के इनाम के बदले दिया बेवफाई का सामान
रिश्तों में पड़ती दरार है जब तानों की चलती तलवार है
संघर्ष की हर रात है कभी होगी कोई हर्ष भरी बात
इतनी जुनून भरी जिन्दगी ना मिले दुबारा, इस जुनून मे मैंने सब हारा
मैं भी उसे चाहता था पर बता नहीं पाया, थी मोहब्बत मेरे भी दिल में पर मैं कभी जता नहीं पाया।
मुझे मत सीखा पागल लड़की, बन्द किताब को भी पढ़ना कैसे है आता है मुझे।
दूरियाँ मुझे आजमाती तो हैं पर शायद ये यह नहीं जानती 'दूरियाँ बढ़ने से रिश्ते खत्म नहीं हो जाते'।
अपने होकर भी वो मुझे पराया कर गए, करता था मैं उनसे मोहब्बत और वो मुझे दोस्त कह गए...!
जब भी तानो की चुभन होती है तब मेरी कलम लिखती है
सब ने पूछा मैंने लिखना सीखा कहा है मैंने बोला जहा मेरा पहला आंसू बहा है
हर रोज मेरे सब्र का होता इम्तिहान है कोई ना कोई तानों से सुनाता नया फरमान है
रिश्ते नहीं मेरे अरमानों की कब्र है हर रोज लेते मेरे इम्तिहान का सब्र है
जब तानो से रोती हू तब रिश्तों की कब्र पे सोती हू
किसी के भी आगे झुको चाहे रहीम हो या राम लेकिन पेट तभी भरेगा जब खूद करोगे कुछ काम
मेरे फर्ज के मत पूछो हिसाब बीक जाएंगे अच्छे - अच्छे नवाब
विरासत में मिली बस एक जिम्मेदारी है अपनी नींद बेच के करती हु उसकी पहरेदारी
मेरा दर्द किसी को यहा नहीं दिखता है और मेरा लिखा हर दर्द बड़े शोक से हर कोई पढता है
मे टूटती हू तो वो हसते हैं शायद इसे ही जमाने वाले प्यार कहते हैं
वो रिश्ते नहीं मजबूरी है जहा करनी पड़ती जी हजूरी है
आज वो हमे देखने से भी कतराते हैं जिन पे कभी हम इतराते थे
मे उनका गुजरा बेवफा वक्त हू इसलिए आज पत्थर से भी ज्यादा सख्त हू